महज एक टूटे-फूटे फूस की आड़ थी, जिसके छेद में टीन के कुछ बक्से दिखाई पड़ रहे थे। एक बक्सा खुला हुआ था जिसका सामान जमीन पर छितराया पड़ा था। तब तक मीरावती का देवर राम समुझ दनदनाता हुआ अंदर आया और उसने मीरावती को पीछे से खड़ी लात जड़ दीमीरावती दर्द से बिलबिला उठी। उसकी गोद की लड़की दूर जा गिरी और चीखें मारकर रोने लगी। राम समुझ ने मीरावती के बालों को खींचते हुए कहा “उठ रांड़, मेरे भाई को तो खा गई, अब क्या पूरे घर को खाएगी? निकल यहां से, अब तेरा यहां क्या रखा है?" मीरावती कुछ न बोली, बस बढ़कर बच्ची को उठाया और उसे चुप कराया।

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